मनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई मंजिल दूर नहीं होती। इसे सच कर दिखाया नगर कोईलवर के सुरौधा कॉलोनी निवासी स्व. गणेश चौधरी के पुत्र ब्रजकिशोर चौधरी ने। सुरौधा कॉलोनी के दलित बस्ती में रहने वाले ब्रजकिशोर चौधरी सिविल जज के लिए चुन लिए गए हैं। जिनका अनुसूचित जाति कैटेगरी में 18 वां रैंक है। उनकी इस कामयाबी पर पूरे नगर में खुशी का माहौल है।
ब्रजकिशोरने वर्ष 2000 से 2006 तक बीएचयू से एलएलबी की पढ़ाई की। इस बीच 2002 में उनकी शादी हुई। 5 संतान हुईं, फिर भी पढ़ाई जारी रखी। ब्रजकिशोर छोटे से टोले में रहते हुए भी शुरू से ही बड़े सपने देखने लगे थे। उनके पिता जी शिक्षक थे। दो भाई तीन बहन में ब्रजकिशोर दूसरे नंबर पर थे। जब उनकी उम्र 10 साल की थी, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ चुका था। मां राजमती देवी के कंधों पर भारी बोझ चुका था। हालांकि पिता जी के स्थान पर मां को स्कूल में आदेशपाल की नौकरी मिल गयी थी।
एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद ब्रजकिशोर 2008 में कायमनगर ग्राम पंचायत में न्यायमित्र हैं। न्यायमित्र रहते हुए ब्रजकिशोर हर साल 70 से 80 मामलों का निष्पादन करते रहे हैं। इनकी न्यायिक प्रक्रिया को पंचायत के लोग सराहते थे। इसी बीच उन्होंने इस वर्ष न्यायिक परीक्षा पास कर ली। इससे पहले ब्रजकिशोर तीन बार इसकी लिखित परीक्षा पास कर चुके थे। पर मेरिट लिस्ट से बाहर हो जाते थे। लेकिन 2017 में उन्हें सिविल जज के लिए चुन लिया गया है।
ब्रजकिशोरने बताया कि उनको पूरा विश्वास था कि उसका सिविल जज के लिए इस बार चयन होगा। इसी विश्वास के साथ पढ़ाई शुरू की थी और घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। इस बीच तीन बहनों की शादी की बड़ी जिम्मेवारी भी थी। लेकिन मां के मार्गदर्शन ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है। बताया कि बड़ी बहन संजू देवी बहनोई रामेश्वर चौधरी हमेशा प्रेरणास्रोत रहे हैं। कहा कि मैं भ्रष्टाचार का कड़ा विरोधी हूं। न्यायिक सेवा में इमानदारी का मानदंड स्थापित करुंगा।
Source: Bhaskar
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