गलत कार्यो का त्याग करने से योग की होती है प्राप्ति: श्री जीयर स्वामी - Arrah City | Arrah Bhojpur Bihar News

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गलत कार्यो का त्याग करने से योग की होती है प्राप्ति: श्री जीयर स्वामी

गलत कार्यो का त्याग करने से योग की होती है प्राप्ति: श्री जीयर स्वामी

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भोजपुर के कोइलवर में हनुमंत धाम स्थित सोन नद के रेत पर कोइलवर में प्रारम्भ ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परम् शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी की श्री मद् भागवत कथा सुनने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है . कथा के तीसरे दिन मंगलवार की शाम उन्होंने श्रोताओं को कथा के साथ नैतिकता का पाठ पढ़ाया . 
श्री जीयर स्वामी ने कहा कि श्री मद् भागवत महा पुराण महाग्रंथ भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का समन्वित सागर है . यह केवल मुक्ति का ही नहीं बल्कि धन, बल, पुत्र, विद्या, ज्ञान, भक्ति, वैराग्य आदि सर्व काम भाव की कथा है . भागवत स्वयं भगवान के मुख से प्रकट ग्रंथ है . यह पंचम वेद है . मृत्यु के भय का विनाश करने वाला मंगलमय ग्रंथ है . नर को नारायण तक पहुंचाने का उत्तम सोपान है . जब कई जन्मों का पुण्य उदय होता है तो सत्संग का लाभ मिलता है . सत्संग का मतलब श्री मद् भागवत कथा . ईश्वर में सच्ची भक्ति , जहां जाने के बाद अपना आचार-व्यवहार, सदाचार, जीवन की गति, परमात्मा की संगति के लिए बेचैन हो जाय वहीं सत्संग है . कथा श्रवण कर उसे जीवन में उतारना सत्संग है. भक्ति मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी विचलित नहीं होता . जीवन केवल भोग विलास के लिए नहीं बल्कि नैतिकता के साथ जीने के लिए मिला है . ज्ञान कर्म और भक्ति का मूल आधार सदाचार है .


श्री जियर स्वामी जी महाराज प्रवचन के दौरान कहा कि शिव पुराण का श्रवण करें पुण्य के भागी होंगे . गलत कार्यो का त्याग करने से योग की प्राप्ति होती है . योग अलग अलग योनि में आती जाती है . परमात्मा का बोध ही योग है . स्वामी जी ने कहा कि वेद को चार भागो में बांटा गया है . वेद का शुद्धिकरण कर उपनिषद की रचना की गयी है .


भगवान ने मानव कल्याण के लिये वेद व उपनिषद की रचना की . मानव जीवन में परोपकार की भावना आने से सुख प्राप्त होता है . भागवत कथा मानव जीवन का संस्कार है . इसे सुनने से प्रभु की भक्ति प्राप्त होती है तथा भक्ति योग द्वारा जीवात्मा को मोक्ष प्राप्त होता है . उन्होंने कहा कि मानव जीवन में भक्ति योग व कर्म योग का विशेष महत्व होता है . मनुष्य को सदैव ईश्वर के स्वरूप का ध्यान करते रहना चाहिए . भगवान विष्णु का ध्यान करने से मन पवित्र हो जाता है . वहीँ अठारहों पुराणों का रहस्य है कि परोपकार सबसे बड़ा धर्म है . दुष्ट व्यक्ति का अन्न खाने से आदमी का बुद्धि नष्ट हो जाता है .

तुलसी की पूजा करने से नारायण व लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं तथा माता-पिता की सेवा करने वाला दिव्य शक्ति प्राप्त करता है . उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने वाला व्यक्ति गलत मार्ग छोड़ देता है और वह स्वत: धर्म के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है . समस्त वेदों का सार है भागवत गीता . प्रतिदिन संध्या पांच बजे से छह बजे तक संचालित इस ज्ञान यज्ञ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेकर स्वामी जी के मुखार¨वद से हो रहे प्रवचन का रासपान कर रहे हैं . सुबह में आरती तथा शाम में प्रवचन से इलाके में भक्ति का वातावरण बना हुआ है . कथा के संदर्भ में स्वामी जी के मुखार¨वद से ज्ञान वर्धक प्रवचनों को सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं . स्वामी जी ने वहां मौजूद लोगों को सन्मार्ग की राह पर चलने का सुझाव देते हुए कहा कि सनातन धर्म में विकृति के उन्मूलन का एक मात्र रास्ता वेदों में निहित आदर्शो का अनुशरण करना है .

1 comment:

  1. They are sharing really good information humans. We can learn many things from bhagwat khatha and other satsangs. Thanks for sharing this information with us.

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