बात हो रही है आरा और पटना को सड़क मार्ग से जोड़ने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण कोइलवर पुल की. सोन नदी पर अवस्थित कोइलवर अब्दुल बारी पुल विकास की जीवन रेखा का एक मुख्य बिन्दु है। यातायात की सुविधा विकास की कुंजी मानी जाती है। यह पुल रोड एवं रेल यातायात का न सिर्फ इस क्षेत्र के लिए मुख्य साधन है बल्कि राज्य की राजधानी पटना को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से सीधा जोड़ता है।
लोहे के गाटर से बने इस दोहरे एवं दो मंजिला पुल की निर्माण तकनीक व सुन्दरता लोगों को आज भी काफी आकर्षित करती है. यह पुल अपने निर्माण का शतक लगा चुका है . इसके बावजूद इस पुल के ऊपरी मंजिल स्थित अप एवं डाउन रेल लाइन से दर्जन भर सुपर फास्ट ट्रेन समेत दर्जनों यात्री एवं गुड्स ट्रेनें हर रोज गुजरती हैं . सैकड़ों भारवाहक वाहन समेत बस-कार आदि यात्री वाहन निचले मंजिल के दोहरे सुरंगनुमा सड़क मार्ग से गुजरते हैं . इसके नीचे बहती रहती है सोन नदी की अविरल धारा जिसमें नौकाएं तैरती रहती हैं . सोन नदी से निकला बालू इसी पुल से उत्तर बिहार तक और पश्चिम में उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र तक वाहनों द्वारा पहुंचकर विकास में योगदान देता है .
कोइलवर पुल मतलब जाम
कोइलवर पुल मतलब जाम ऐसा लोगों में नियती बन गया है . जाम से निजात के लिए प्रशासन तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं फिर भी समस्या का ठोस उपाय नही हो पा रहा है . पुल पर जाम न हो इसके लिये पुल के दोनो छोर पर एक हवलदार सहित दर्जन भर पुलिस कर्मी 24 घंटा डयूटी पर तैनात रहते हैं . स्थिति तब और अनियंत्रित हो जाता है जब शादी-विवाह का दिन आते ही वाहनो का दबाव पुल पर बढ जाता है फिर याता-यात बाधित होना आम बात है . लोगों की मानें तो पुल पर जाम की समस्या ऐसी हो गइ है कि दिन और रात मिला कर देखा जाये तो दो-चार बार जाम हो ही जाता है .
हाल के दिनों से आरा-छपरा पुल के चालू होने से वाहनों का दबाव इस पुल पर और बढ़ गया है . जिसके कारण पुल पर अक्सर जाम का नजारा दिख जाता है . पुल के समीप सड़क के किनारे सड़क के हिस्सों में घुसे बिजली का ट्रान्सफार्मर का होना जाम के लिये “नीम चढ़े करैला” उक्ति सटीक बैठता है . यातायात को सुदृढ़ और सुचारू बनाने तथा आम जन की सुरक्षा के लिये ये ट्रान्सफार्मर को वहाँ से स्थानान्तरण जरूरी है . लोगों की मानें तो विगत कुछ दिनों पहले इस ट्रान्सफार्मर से एक ट्रक टकरा गया था जिससे वहाँ शोले भड़कने जैसी स्थिति पैदा हो गइ थी और ट्रान्सफार्मर का तेल टपकने लगा था . यदी वह शोला इस तेल के सम्पर्क में आ जाता तो बडी दुर्घटना होती और कई जानें जा सकती थी . बहरहाल बिजली विभाग, यातायात से जुडे अधिकारियों को इतना बड़ा जोखिम अर्थात सड़क से सटे ट्रान्सफार्मर के मामले पर यातायात और परिवहन विभाग को गंभीरता से लेना चाहिये ताकि कोई अनहोनी ना हो .
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