केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में बनने वाली नयी एनडीए सरकार में अधिकतर नये चेहरों को जगह दी जायेगी. इस बार बिहार के कम-से-कम 10 सांसदों को शामिल होने का अवसर मिलेगा. इस बार के चुनाव में भाजपा के साथ जदयू और लोजपा भी रही है. इस कारण मंत्रियों की संख्या में भी भाजपा और जदयू की बराबरी की हिस्सेदारी होगी. एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का दावा लोजपा का भी होगा. सूत्र बताते हैं कि इस कारण बिहार से भाजपा कोटे के मंत्री कम होंगे. जिन सांसदों को मंत्री बनाया जायेगा, उनमें अधिकतर नये चेहरे होंगे. कुशवाहा और दलित कोटे से भी मंत्री बनाये जाने की चर्चा है.
माना जा रहा है कि बिहार से कम-से-कम 10 मंत्री बनाये जा सकते हैं. बिहार से जीतने वाले 39 एनडीए सांसदों में भाजपा के 17, जदयू के 16 और लोजपा के छह सांसद शामिल हैं. 17 भाजपा सांसदों में छह पहले से ही केंद्रीय मंत्री हैं, जिनमें रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह, रामकृपाल यादव, अश्विनी कुमार चौबे, आरके सिंह और गिरिराज सिंह शामिल हैं.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनमें से तीन मंत्री तो फिर बन सकते हैं, लेकिन तीन अन्य को दूसरी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इनके स्थान पर दो नये लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है. दो नये सांसदों के नामों को लेकर पार्टी में लॉबिंग शुरू है. जदयू कोटे से मंत्री बनने वालों के नाम वरिष्ठ नेताओं की सलाह के बाद मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार तय करेंगे. राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को भी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिल सकती है. उनके अलावा पार्टी के हिस्से में तीन और मंत्रिपद आ सकते हैं. सामाजिक समीकरण के हिसाब से कुशवाहा और दलित सांसदों को मौका मिल सकता है.
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