1999 से टेलिकॉम सेक्टर में एंट्री लेने वाली एयरसेल अब मुश्किल हालात में है। यूजर्स दूसरे नेटवर्क में शिफ्ट हो रहे हैं तो कर्मचारी दूसरी नौकरी ढूंढने को मजबूर। जहां उसके यूजर्स कॉल ड्रॉप एवं नो सिग्नल जैसी समस्याओं के लिए परेशान है, तो वहीं दूसरी तरफ कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच रही है। वहीं खबर यह भी है कि 31 मार्च तक कंपनी पर ताला भी लग सकता है। अगर आप भी एयरसेल के यूजर हैं या फिर पूर्व यूजर रह चुके हैं तो आपके लिए 5 बातें जानना जरूरी है।
क्या वाकई में बंद हो रही है एयरसेल?
एयरसेल ने सोशल मीडिया पर साफ किया है कि वह अपनी सेवाएं बंद नहीं करने जा रही है और अगर ऐसा कुछ भी होता है तो उसके बारे में यूजर्स को पर्याप्त सूचना भी दी जाएगी। कपनी ने बताया, “हमारा सिस्टम ग्रोथ को संभालने में असमर्थ है। हालांकि हम कहीं नहीं जा रहे हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आखिरी दम तक अपने कस्टमर्स की सेवा करें।”
एयरसेल के यूजर्स क्यों हो रहे हैं परेशान?
एयरसेल के तमाम यूजर्स अपने सर्कल में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। यूजर्स को उनके मोबाइल पर कंपनी का नेटवर्क नहीं दिख रहा है। ऐसा पिछले कुछ दिनों से हो रहा है।
लोग दूसरे नेटवर्क में पोर्ट भी नहीं करा पा रहे हैं अपने नंबर्स, आखिर क्यों?
देशभर के 9 लाख एयरसेल कस्टमर्स ने बुधवार को और करीब 3 लाख कस्टमर्स ने मंगलवार को अपना नंबर दूसरे नेटवर्क पर पोर्ट कराने की कोशिश की, क्योंकि वो लगातार कॉल ड्रॉप की समस्या का सामना कर रहे थे। काफी सारे कस्टमर्स की ओर से पोर्ट की रिक्वेस्ट दिए जाने के बाद एयरसेल का बुनियादी ढांचा इस स्थिति को संभाल नहीं पा रहा है, हालांकि कंपनी का कहना है कि उसे सभी पोर्ट रिक्वेस्ट को स्वीकार करने में थोड़ा समय लगेगा।
कब शुरू हुई समस्या?
एयरसेल ने 30 जनवरी को छह सर्कल में अपना ऑपरेशन बंद कर दिया, इनमें गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल है। कंपनी ने तब कहा था कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल में काम करना अब मुश्किल हो रहा था। वहीं दूसरी ओर टेलिकॉम सेक्टर में हुई जियो की एंट्री ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दीं।
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