नोटबंदी का एक साल पूरा हो गया. पिछले साल 8 नवंबर को रात 8 बजे पीएम मोदी द्वारा अचानक सुनाया गया यह फैसला सालभर से देश में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बना रहा. इसमें कोई शक नहीं है कि नोटबंदी से छोटे कारोबारियों पर तगड़ी चोट पड़ी। लेकिन एक साल में हालात काफी बेहतर हो गए। अगर जीएसटी इस साल 30 जून की आधी रात से लागू नहीं होता तो शायद नोटबंदी का दर्द और कम होता. नोटबंदी के बाद कुछ लोगों का दबा हुआ पैसा सामने आया. उन्हें आयकर विभाग के सवालों का जवाब भी देना पड़ रहा है.
ब्लैकमनी पर मिली बड़ी सफलता
नोटबंदी के बाद सबसे बड़ी सफलता सरकार को ब्लैकमनी पर शिकंजा कसने में मिली है. वित्त मंत्री ने अपने भाषणों में कहा है कि नोटबंदी का अच्छा नतीजा यह मिला है कि करीब 18 लाख संदिग्ध खातों की पहचान हो चुकी है. 2.89 लाख करोड़ रुपए जांच के दायरे में हैं. इसके अलावा एडवांस्ड डेटा ऐनालिटिक्स के जरिए 5.56 लाख नए केसों की जांच की जा रही है. साथ ही साढ़े चार लाख से ज्यादा संदिग्ध ट्रांजैक्शन पकड़े गए हैं. इसमें बताया गया है कि नोटबंदी के बाद 16 करोड़ रुपए का कालाधन वापस ही नहीं आया. साथ ही करेेंसी सर्कुलेशन 21 फीसदी तक की कमी आई है
टैक्स कलेक्शन बढ़ा
पीएम मोदी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के बाद देश के टैक्स सिस्टम से 56 लाख नए करदाता जुड़े हैं. वहीं, पिछले साल के मुकाबले टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में 9.9 फीसदी से 25 फीसदी तक बढ़ गई है. पर्सनल इनकम टैक्स के एडवांस्ड टैक्स कलेक्शन में पिछले साल के मुकाबले 41.79 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
फाइनेंशियल सिस्टम की हुई सफाई
नोटबंदी की वजह से देश के फाइनेंशियल सिस्टम की सफाई करने में मदद मिली है. देश में व्यापार करने वाली 3 लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियां रडार पर हैं, जबकि 2.1 लाख फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया गया है. इसमें बताया गया है कि नोटबंदी का ही असर है कि 400 से ज्यादा बेनामी लेनदेन की पहचान करी जा चुकी है. साथ ही, 800 करोड़ रुपए की मार्केट वैल्यू वाली प्रॉपर्टी जब्त की गई है.
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