प्राचीनकाल से ही संपूर्ण भारत में भोजपुर जैन धर्म का अत्यंत महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। बिहार का भोजपुर एक ऐसा एकलौता जिला है, जहां सबसे अधिक शिखर बंद मंदिर और चैतालय है। यहां पर 25 शिखरबंद मंदिर व 20 चैतालय है। जैन समाज ने यहां के लोगों की उन्नति व विकास के लिए अनगिनत कार्य कर व सेवाभाव से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। लगभग चार दर्जन जैन मंदिरों के इस शहर में देश-विदेश से हजारों लोग आते हैं। प्रदेश में बने जैन सर्किट में आरा को शामिल तो किया गया, लेकिन आज तक इसका पर्यटन स्थल के रूप में अभी तक विकास नहीं हुआ है।
बताया जाता है कि 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व में जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर तप कल्याणक के क्रम में अनेकों बार आरा होकर बनारस, कौशाम्बी, उज्जैन आदि नगरों में गए। साथ ही तीर्थकर पद की प्राप्ति के पश्चात आरा के समीपवर्ती उद्यान में ठहरे थे। इस दौरान आरा के लोगों ने जैन धर्म को अंगीकार किया था। वहीं जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर 1008 पार्श्वनाथ स्वामी जी बनारस सम्मेद शिखर के लिए प्रस्थान किये थे तो मसाढ़ गांव में रूके थे।
आरा स्थित जैन धर्म के प्रमुख मंदिर:
आरा स्थित प्रमुख मंदिरों में श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, जेल रोड, श्री चन्द्रप्रभु दि.जैन मंदिर, जेल रोड, महावीर स्वामी जल मंदिर, शिवगंज, श्री मुनि सुब्रतनाथ दि.जैन मंदिर, महावीर टोला, श्री दि. जैन पंचायती मंदिर, महाजन टोली नंबर-2, श्री धर्मनाथ दि. जैन मंदिर, शिवगंज, श्री चौबीसी मंदिर, जेल रोड, श्री सहस्त्रकुट चैतालय, धनुपरा, श्री आदिनाथ दि. जैन मंदिर, धनुपरा, श्री पाश्र्र्वनाथ दि. जैन मंदिर, धनुपरा, श्री आदिनाथ दि.जैन मंदिर, धनुपरा, जेल रोड, श्री पाश्र्र्वनाथ दि.जैन मंदिर, मैना सुन्दर धर्मशाला, श्री शांतिनाथ समोशरण मंदिर, महादेवा, श्री महावीर स्वामी समोशरण मंदिर, महाजन टोली नंबर-2 आदि है।
दो माताओं का जन्मभूमि व कर्म भूमि है आरा:
आर्यिका रत्न विमल प्रभा माता जी की जन्मभूमि व कर्म भूमि आरा है। वहीं आर्यिका रत्न विजयमती माताजी का की कर्मभूमि आरा के जैन बाला विश्राम रहा है।
आकर्षण का केन्द्र है बाहुबली भगवान की प्रतिमा:
श्री जैन बाला विश्राम स्थित है भगवान बाहुबली की प्रतिमा। लगभग वर्ष 1937 में स्थापित यह प्रतिमा लगभग 14 फीट ऊंची है। श्रवण बेलगोला, कर्नाटक की प्रतिमूर्ति है यह। यहां 12 साल पर मस्तिाभिषेक होता है। इसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शामिल होते हैं। अगले साल फरवरी में महा मस्तिकाभिषेक का कार्यक्रम होगा।
वर्षो प्रयास के बाद शहर के दो मंदिर को जोड़ा गया है। स्थानीय श्री जैन बाला विश्राम स्थित भगवान महावीर विश्राम स्थली और मसाढ़ स्थित श्री 1008 पाश्र्र्वनाथ मंदिर। इन दो मंदिरों के अलावे जैन सर्किट से जोड़ने के लिए दिगम्बर जैन प्रभु दास मंदिर, महादेवा, शांति नाथ मंदिर, जेल रोड के अलावा देव कुमार जैन प्राच्य शोध संस्थान है। इनके अलावे कई ऐसे मंदिर है, जिसको जैन सर्किट में जोड़ा जा सकता है।
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