आरा: तत्कालीन शाहाबाद (अब भोजपुर जिला) के जगदीशपुर में कुंवर सिंह का जन्म हुआ था। कभी जिले में वीर कुंवर सिंह से जुड़ी कई ऐतिहासिक धरोहरें थी। कई आज भी हैं। लेकिन, धीरे-धीरे इन धरोहरों का नामोनिशान मिटता जा रहा हैं। देश के स्वतंत्र होने के बाद भी उन्हें सहेजने का प्रयास नहीं किया। विजयोत्सव पर भी उनकी ओर सरकार या प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है।
इससे नई पीढ़ी स्वतंत्रता संग्राम या कुंवर सिंह से जुड़े कई ऐतिहासिक तथ्यों से अनभिज्ञ है, जिसकी वह हकदार है। वर्ष 1955 में प्रथम विजयोत्सव में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जगदीशपुर आये थे। इसे ऐतिहासिक नगरी को आदर्श नगर और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की इच्छा प्रकट की थी। लेकिन, उनकी इच्छा पूरी नहीं सकी।
आरा शहर के महाराजा कॉलेज में अवस्थित है ऐतिहासिक आरा हाउस। अब इसे कुंवर सिंह संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। अब भवन पर अंकित कुंवर सिंह के नाम के सिवाय कुछ भी नहीं है। यह कभी अंग्रेजों का कॉफी हाउस था। इतिहासकारों के मुताबिक आरा हाउस में अंदर 25 किमी लंबी सुरंग जगदीशपुर किले तक है जिससे कुंवर सिंह घोड़े पर सवार होकर आया-जाया करते थे। आरा में कुंवर के साथ भयंकर युद्ध में अंग्रेज अधिकारियों गोरे सैनिकों को परिवार संग जान बचाने के लिए आरा हाउस में छिपकर शरण लेनी पड़ी थी।
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