रंगों के त्योहार होली को लेकर देशभर में उत्सव का माहौल है। रंगों से सराबोर कर देने वाले इस पर्व से पहले होलिका दहन होता है। हर साल की तरह इस बार भी होली से एक दिन पहले यानी आज बुधवार रात होलिका जलाई जाएगी। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन यानी होली से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं और मान्यताएं भी हैं।
मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने जब भगवान विष्णु की भक्ति में लीन अपने ही बेटे प्रह्लाद को जिंदा जला देने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली तो भक्त को बचाने के लिए भगवान खुद अवतरित हो गए। भक्त पर भगवान की कृपा हुई और प्रह्लाद के लिए बनाई गई चिता में स्वयं होलिका जल मरी। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।
होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त
आज 20 मार्च बुधवार को रात 9 बजे के बाद होलिका दहन मनाया जाएगा. काफी लंबे समय बाद होलिका दहन और होली दोनों दिन ही लगातार मातंग योग पड़ रहा है. चूंकि भद्रा इस बार काफी देर तक रहेगी इसलिए बुधवार की रात 9 बजे के बाद ही होलिका दहन करना शुभ होगा. ऐसा दुर्लभ योग 7 साल बाद पड़ रहा है जब ब्रहस्पति के शुभ प्रभाव में रंगोत्सव मनाया जाएगा.
आज 20 मार्च बुधवार को रात 9 बजे के बाद होलिका दहन मनाया जाएगा. काफी लंबे समय बाद होलिका दहन और होली दोनों दिन ही लगातार मातंग योग पड़ रहा है. चूंकि भद्रा इस बार काफी देर तक रहेगी इसलिए बुधवार की रात 9 बजे के बाद ही होलिका दहन करना शुभ होगा. ऐसा दुर्लभ योग 7 साल बाद पड़ रहा है जब ब्रहस्पति के शुभ प्रभाव में रंगोत्सव मनाया जाएगा.
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