पुत्रों की सलामती को लेकर महिलाएं मंगलवार को जीवित पुत्रिका व्रत करेंगी। इसको लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है। जिउतिया पर्व को लेकर बाजार गुलजार हो गया है। आज नहाय-खाय के साथ इस पर्व की शुरूआत होगी। कल मंगलवार को पूरे दिन निराजल रहेंगी। इस दौरान पुत्रवती महिलाएं गले या बांह में जिउतिया ग्रहण करेंगी। दोपहर के बाद स्नान करने के बाद घरों में या मंदिरों में पहुंच आचार्यों द्वारा जीवित पुत्रिका व्रत की कथा सुनेंगी और पूरे दिन एवं रात निराजल रहने के बाद अगले दिन बुधवार की अल सुबह बने व्यंजन को तरोई के पत्ते पर चिल्होड़-चिल्होरिन को अर्पित करने तथा ब्राह्माणों को दक्षिणा देकर पारण करेंगी।
जिउतिया पर्व हिन्दू धर्म में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाये जाने वाले पर्वों में से एक है। इस दिन व्रत का खास महत्व होता है, जिसे अपनी संतान की मंगलकामना और लंबी आयु के लिए रखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जिउतिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। माना जाता है जो महिलाएं जीमूतवाहन की पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करती है उनके पुत्र को लंबी आयु एवं सभी सूखों की प्राप्ति होती है। पूजन के लिए जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील एवं सियारिन की प्रतिमा बनाई कर पूजा की जाती है। जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा सुनकर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देती है, उन्हें पुत्र सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है।
No comments:
Post a Comment