श्री त्रिदण्डी स्वामी जी महाराज के परम् शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कोइलवर में हो रहे “ज्ञान यज्ञ” के अवसर पर देर शाम CRPF मुख्यालय कोइलवर पहुंच देश सेवा में लगे सेना के जवानों व अधिकारियों के बीच प्रवचन के दौरान कहा कि मानव को दया करना चाहिए मगर दया में आसक्त नहीं होना चाहिए. अपना कर्तव्य पालन करते हुए दया करें मगर ऐसा दया नहीं करें जिससे आपका स्वरूप या धर्म आदि नष्ट हो जाये . दया, प्रेम सबसे करे, लेकिन ममता एवं आसक्ति प्रभु से करनी चाहिए नहीं तो पथ भ्रष्ट होना पड़ता है . पिता के द्वारा पुत्र को अनेक धर्मो की शिक्षा दी जानी चाहिए.
उन्होने कहा कि जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म रक्षा करता है . ज्ञानी पुरुष कर्म में लिप्त रहते हैं न कि उसके फल में . ज्ञानी पुरुष कार्यो के फल को त्याग देते हैं . वह परमात्मा में लीन रहते हैं . वासनाओं के मन हटाने के लिये संत की शरणागति करनी चाहिए . संतों के चरणों में बैठने, समागम करने से ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है . इसलिए संत के शरण में रहना चाहिए.
गलत तरीका से धन अर्जित करना बाढ़ के पानी के समान हैं . श्री जीयर स्वामी जी ने जवानों को उपदेश देते हुए कर्म व कर्तव्य के राह पर चलने का उपदेश दिया . उन्होंने बोला कि सभी व्यक्ति को संतोषप्रद होना चाहिए . साथ ही कहा कि अगर किसी को क्षमा करने से राष्ट्र व समाज का भला होता है तो हमें क्षमा धर्म का पालन करना चाहिए . हमलोगों को अपनी संस्कृति एवं समाज का अनुसरण करना चाहिए . आजकल भाग-दौड़ की जिंदगी है, हाईटेक का जमाना है . ऐसे में हमें अपनी वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता को नही भूलनी चाहिए . नैतिकता का पालन करना चाहिए . बुरे समय में हमारे द्वारा किये गये नैतिक कार्य ही काम में आता है .
No comments:
Post a Comment